Sunday, December 5, 2010

एक बार माफ कर दो....


दोस्त हू तुम्हारा...
शायद दुश्मन बना दिया है....
कभी ऐसे सोचा न था....
यु मोड लेगी कभी...हमारी-तुम्हारी दोस्ती.....

बस एक छोटीसी ख्वाहिश ...
तुम्हारा अच्छा दोस्त बन सकू
ऐसे रूठ कर तुम नाराज ना होना...
क्योंकी बोहोत ही खूबसूरत है...अपनी दोस्ती...

अफसोस अब मुझेभी होता है...
तुमसे बात कर तुम्हारा वो गुस्सा होना...
शायद ही जिकर होगा कभी इस बारे मै...
वादा है मेरा...निभाना है....इस तरह है...हमारी दोस्ती...

खफा अब मैं भी हू...
तुम्हारे चले जाने से...
खफा अब मैं भी हू...
तुम्हारे मुझपर यू रूठ जाने से...

बस एक बार माफ कर दो ना .....

- शशांक नवलकर ०५-१२-२०१०

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